
मुस्लिम युवक ने हिंदू महिला का किया अंतिम संस्कार और दी मुखाग्नि , बीमारी में भी कराया था इलाज
राजस्थान - भीलवाड़ा के गांधीनगर इलाके के जंगी मोहल्ले में मणिहारी आइटम की छोटी से दुकान चलाने वाले 42 साल के असगर अली ने मिसाल कायम की है। पड़ोस में किराए पर रहने वाली 67 साल की अकेली महिला शांति देवी को असगर ने कहने के लिए मां नहीं कहा। उनकी मौत के बाद बेटे का फर्ज भी निभाया।
रविवार की सुबह 67 वर्षीय हिंदू महिला की मौत हो गई। मृतक महिला बेसहारा थी, उसका अंतिम संस्कार करने के लिए कोई स्वजन मौजूद नहीं था। ऐसे में मृतक महिला को मां की तरह सम्मान देने वाले एक मुस्लिम युवक असगर अली ने अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार पूरी तरह से हिंदू रीति-रिवाज से किया। इस दौरान असगर के मुस्लिम मित्र मौजूद रहे। मुस्लिम युवकों ने मृतका के शव को कंधा देकर मोक्षधाम तक पहुंचाया। जानकारी के अनुसार मृतका शांति देवी पिछले 15 साल से अकेली रहती थी। इसके अलावा देखभाल करता था और इलाज करवाता था !
असगर के लिए शांति देवी पड़ोसी नहीं, बल्कि मां से बढ़कर थीं। शांति ने भी जीवनभर असगर अली पर खूब ममता लुटाई। कई साल के साथ ने दोनों को मां-बेटे के रिश्ते में बांध दिया।
30 साल पहले मिले थे दो परिवार असगर अली ने बताया- शांति देवी और उनके पति मेलों में छोटी-मोटी दुकान लगाया करते थे। मेरे माता-पिता भी यही काम करते थे। 30 साल से दोनों परिवार एक-दूसरे को जानते थे। मेरी मां और शांति देवी के बीच अच्छा रिश्ता बन गया। मैं बहुत छोटा था। तभी से शांति देवी का मासी मां कहा करता था। हम लोग एक ही मोहल्ले में अलग-अलग मकानों में रहते थे।
मां की तरह प्रेम
गांधी नगर के जंगी चौक में शांति देवी को अपनी मां की तरह प्रेम करने वाले इलाके के मुस्लिम युवा अशफाक कुरैशी, शाकीस पठान, फिरोज कुरैशी कांचा, आबीद कुरैशी अजगर पठान, अशफाक, इनायत भाई जाबिद कुरैशी सहित मोहल्ले के लोग आगे आए और सभी ने मिलकर बुजुर्ग शांति देवी के लिए क्रियाकर्म की तैयारी की, फिर उनकी अंतिम यात्रा को कंधा देते हुए शमशान तक पहुंचाया. बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया गया.