SMS Hospital Fire Tragedy: ट्रॉमा सेंटर में आग से हुई 8 मौतों का कौन जिम्मेदार? खड़े हो रहे हैं कई प्रश्न

SMS Hospital Fire Tragedy: ट्रॉमा सेंटर में आग से हुई 8 मौतों का कौन जिम्मेदार? खड़े हो रहे हैं कई प्रश्न

राजस्थान: राजधानी जयपुर के SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में रविवार भीषण आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, कई अभी गंभीर हैं। आग आईसीयू के स्टोर में लगी, जहां पेपर, चिकित्सा उपकरण और ब्लड सैंपल ट्यूब रखे थे। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण माना जा रहा है। हादसे में 5 अन्य मरीज गंभीर रूप से झुलस गए और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। 


राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) के ट्रॉमा सेंटर में आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई। जहां मरीजों को जिंदगी बचाने के लिए लाया जाता, वहीं लाशों के ढेर लग गए। इस हादसे की वजह ट्रॉमा सेंटर के स्टोर रूम में शॉर्ट सर्किट होना बताया जा रहा है।


घटना के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम, विधायक बालमुकुंदाचार्य सहित कई नेता एसएमएस अस्पताल मरीजों से मिलने पहुंचे हैं। कांग्रेस ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मृतकों के लिए उचित मुआवजे की मांग की।


 सेंटर के आईसीयू में रविवार रात 11.20 बजे आग लगी। हादसे में 3 महिलाओं सहित 8 मरीजों की मौत हो गई। इसके असली जिम्मेदार वो आला अफसर से लेकर हर वो स्टॉफ हैं जिसकी जिम्मेदारी थी मरीजों की सुरक्षा की लेकिन किसी ने अपनी जिम्मेदारी निभाई ???
अगर वो अपनी जिम्मेदारी सही से निभाते तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता। समय रहते स्टॉफ को सही प्रशिक्षण दिया होता ऐसी परस्थितियों में कैसे सूझबूझ से काम करना होता इसकी ट्रेनिंग दी होती है तो शायद 8 लोगों की जान  बचाई जा सकती थी ! मरीज हॉस्पिटल प्रशासन के भरोसे हॉस्पिटल में आते हैं अगर वो ही उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेगा तो फिर मरीज की जिम्मेदारी कौन लेगा...?? SMS हॉस्पिटल का आग कांड अपने आप में बहुत सारे प्रश्न खड़े कर रहा है और मरीजों में डर पैदा कर रहा है!!

 


मरीजों के परिजनों ने स्टॉफ पर आरोप लगाएं


पिंटू नाम के एक मरीज की भी इस हादसे में मौत हुई है. उसके रिश्तेदार ने बताया कि रविवार रात 11.20 बजे के करीब जब आईसीयू में धुआं उठता दिखा, तो उन्होंने डॉक्टर्स को इस बात की जानकारी दी और कहा कि मरीजों को तकलीफ हो सकती है. समय के साथ यह धुआं बढ़ता चला गया. 

 

चश्मदीद ने आरोप लगाया कि धुआं बढ़ने पर डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ नीचे कंपाउंड में चले गए और मरीजों को छोड़ दिया. इसके बाद धुआं इतना बढ़ गया कि मरीजों को वहां से हटाना मुश्किल हो गया. फिर भी किसी तरह लोगों ने मिलकर 4-5 पेशंट्स को बाहर निकाला. इनमें से एक पिंटू भी था, जिसकी जान नहीं बचाई जा सकी. 


मरीज पिंटू की हालत अब ठीक हो गई थी और उसे एक-दो दिन के अंदर डिस्चार्ज किया जाना था, लेकिन अग्नि हादसे में उसकी मौत हो गई.

1 week, 5 days ago जयपुर