कौन है सोनम वांगचुक , कैसे थ्री एडिट्स का हीरो विलेन बन गया ?? जाने पूरी इनकी जीवनी की कहानी

कौन है सोनम वांगचुक , कैसे थ्री एडिट्स का हीरो विलेन बन गया ?? जाने पूरी इनकी जीवनी की कहानी

लद्दाख इन दिनों मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है  वजह है 24 सितंबर को लेह में हुई भीषण हिंसा, 4 लोगों की मौत, 70 से ज्यादा लोग घायल और एक चर्चा में बना हुआ एक है जिसके पीछे पूरी कहानी चल रही है जिसका नाम है "सोनम वांगचुक" , आजकल ये नाम मीडिया या सोशल मीडिया पर सबसे अधिक चर्चित नाम है जिन लद्दाख में हुई हिंसा को उकसाने का आरोप है जिसको फिलहाल पुलिस ने NSA के तहत गिरफ्तार कर लिया है ! सरकार ने सोनम को सीधे इस हिंसा के लिए जिम्मेदार माना है 

 

थ्री इडियट्स का हीरो क्यों बन गया विलन?

 

2009 में आई फिल्म थ्री इडियट्स में फुंसुक वांगड़ू का किरदार असल में इनकी जिंदगी से ही प्रेरित है। 
सरकार का आरोप है कि युवाओं को उकसाने का काम सोनम वांगचुक ने किया. दरअसल सोनम वांगचुक के नेतृत्व में ही लेह में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. लेह पुलिस के मुताबिक 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में सोनम वांगचुक के खिलाफ कई FIR दर्ज हुई थीं, जिसके बाद उनको NSA के तहत गिरफ्तार किया गया है और जोधपुर की जेल में शिप्ट किया गया है...और लद्दाख के DGP ने इन पर संगीन आरोप लगाएं हैं उनकी आशंका है कि सोनम वांगचुक पाकिस्तान और बांग्लादेश के जासूसों के संपर्क में था जिस पर फिलहाल जांच चल रही है 

 

कब लगता है NSA कानून?

सरकार को अगर लगता है कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था के बीच बाधा पैदा कर रहा है तो उस व्यक्ति को NSA के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है. इस कानून के तहत संदिग्ध को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है.

 

कौन है सोनम वांगचुक ?? 

सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को लद्दाख के उलेतोकपो नामक एक छोटे से गांव में हुआ था, जो लेह से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। उनका जन्म एक पारंपरिक बौद्ध परिवार में हुआ, जहां गांव में मात्र 5 परिवार रहते थे। बचपन में स्कूल न होने के कारण, उन्होंने अपनी मां से पढ़ना-लिखना सीखा। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों में प्राप्त की, लेकिन लद्दाख की कठोर जलवायु और शिक्षा प्रणाली की कमियों ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के बाद, वे शिक्षा और सामाजिक सुधारों की ओर मुड़े

 

सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) एक प्रमुख भारतीय इंजीनियर, नवप्रवर्तक (इनोवेटर), शिक्षा सुधारक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे लद्दाख क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) तथा शिक्षा में क्रांतिकारी बदलावों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी प्रेरणादायक कहानी ने बॉलीवुड फिल्म '3 इडियट्स' के काल्पनिक चरित्र 'फुन्सुख वांगड़ू' को प्रेरित किया था, हालांकि वे खुद को इस तरह के व्यक्तिगत हीरो के रूप में नहीं देखते, बल्कि सामूहिक बदलाव पर जोर देते हैं। 

 


शिक्षा और प्रारंभिक करियर

 

1980 के दशक में, लद्दाख के छात्रों की खराब प्रदर्शन (पास प्रतिशत मात्र 5%) को देखते हुए, सोनम ने 1988 में स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना की। यह एक गैर-सरकारी संगठन है जो छात्रों को स्थानीय संस्कृति, भाषा और पर्यावरण से जुड़ी शिक्षा प्रदान करता है। SECMOL ने पारंपरिक सरकारी स्कूलों की कमियों को दूर करने के लिए वैकल्पिक शिक्षा मॉडल विकसित किया, जिसमें छात्रों को 'वर्क-लर्न' (काम-सीखना) का तरीका सिखाया जाता है। इस कैंपस को पैसिव सोलर आर्किटेक्चर पर आधारित बनाया गया, जो मिट्टी और सूर्य ऊर्जा से गर्म रहता है। 2016 में इसे फ्रांस के लियोन में इंटरनेशनल टेरा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

 

9 भाषाओं की पूरी जानकारी

 

सोनम वांगचुक को 9 भाषाओं का ज्ञान है। वह बचपन इन भाषाओं को नहीं जानते थे लेकिन सीखने की ललक लगी और उन्होंने 9 भाषाएं सीख लीं। इन सभी भाषाओं को वो अच्छी तरह से समझ और बोल सकते हैं। सोनम विज्ञान और गणित जैसे विषयों को भी लद्दाखी भाषा में पढ़ा भी चुके हैं।


प्रमुख योगदान और नवाचार


हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL): 2015 से वे HIAL की स्थापना पर काम कर रहे हैं, जो पहाड़ी क्षेत्रों के लिए प्रासंगिक शिक्षा प्रदान करता है। यह विश्वविद्यालयों की अप्रासंगिकता को चुनौती देता है।


आइस स्टूपा प्रोजेक्ट: 2013 में लद्दाख के किसानों की पानी की समस्या (अप्रैल-मई में सूखा) को हल करने के लिए उन्होंने कृत्रिम हिम-स्तूप (आइस स्टूपा) विकसित किए। ये 150,000 लीटर पानी स्टोर कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपटने का सस्ता समाधान हैं। 2016 में इसे रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज मिला।


न्यू लद्दाख मूवमेंट (NLM): 2013 में शुरू किया गया, जो सतत शिक्षा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है। यह लद्दाख के स्थानीय नेताओं को एकजुट करने का प्रयास था।


फार्मस्टेज लद्दाख: 2016 में शुरू, जो पर्यटकों को स्थानीय परिवारों के साथ रहने का अवसर देता है, महिलाओं को सशक्त बनाता है।


अन्य पहल: 2007-2010 तक डेनिश NGO MS के साथ शिक्षा सलाहकार रहे। 2013 में जम्मू-कश्मीर स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के सदस्य बने। 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की। हाल ही में (2025 में), वे लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल और आंदोलन चला रहे हैं।


पुरस्कार और सम्मान


सोनम वांगचुक को उनके योगदान के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं:
रैमॉन मैग्सेसे अवॉर्ड (2018): एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज (2016): आइस स्टूपा के लिए।
ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर (2017)।
टेरा अवॉर्ड (2016): सर्वश्रेष्ठ अर्थ बिल्डिंग के लिए।
अशोका फेलोशिप (2002), CNN-IBN रियल हीरोज अवॉर्ड (2008), आदि।

3 weeks ago देश