
चुनाव आयोग को नहीं दिया जा सकता एसआईआर कराने का निर्देश, वोटर लिस्ट बनाना और बदलना सिर्फ हमारा काम: केंद्रीय चुनाव आयोग
मतदाता सूची में संशोधन की नीति का अधिकार
आयोग की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि उसके पास मतदाता सूची में संशोधन की नीति का पूरा अधिकार है. आयोग ने यह हकफनामा याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नोटिस के बाद दायर किया है.
अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में देश भर में सभी संसदीय, विधानसभा और स्थानीय चुनावों से पहले एक निश्चित समय मे एसआईआर कराने की मांग की है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल भारतीय नागरिक ही देश की राजनीति और नीति तय करें. चुनाव आयोग ने दायर हलफनामे में उपाध्याय की ओर से दायर याचिका को खारिज करने की मांग की है.
चुनाव आयोग ने कहा- वोटर लिस्ट में बदलाव हमारा अधिकार
1. धारा 21 के मुताबिक, वोटर लिस्ट में बदलाव करने की कोई तय समय सीमा नहीं है। बल्कि ये सामान्य जिम्मेदारी है, जिसे हर आम चुनाव, विधानसभा चुनाव या किसी सीट के खाली होने पर होने वाले उपचुनाव से पहले पूरा करना जरूरी है।
2. नियम 25 से साफ है कि मतदाता सूची में थोड़ा-बहुत या बड़े स्तर पर बदलाव करना है या नहीं, यह पूरी तरह चुनाव आयोग के फैसले पर निर्भर करता है।
3. मतदाता सूची को सही और भरोसेमंद रखना चुनाव आयोग की कानूनी जिम्मेदारी है। इसलिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत 24 जून 2025 के SIR आदेश के मुताबिक अलग-अलग राज्यों में SIR कराने का फैसला किया है।
4. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार आयोग को छूट है कि वह तय करे कि कब समरी रिवीजन किया जाए और कब इंटेंसिव रिवीजन।